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प्रिय श्रद्धालुगण, सतपुड़ा की सुरम्य वादियों के बीच पवित्र औदुम्बर वृक्ष की जड़ से उद्गमित होकर ओमकार के आकर में सर्पाकार प्रवाहित होकर गुजरने वाली पावन सलिला सर्पिणी नदी के तट पर "अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर" स्थापित है. जो की मध्यभारत के अति प्राचीन शिवालयों मे से एक तथा साडेबारह ज्योतिर्लिंगों में अर्धज्योतिर्लिंग की मान्यता से विभूषित यह अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर विश्वविख्यात शिवशक्ति धाम के रूप मे प्रमुख आस्था केन्द्र है, प्राचीन काल में यह क्षेत्र दण्डकारण्य कहलाता था तथा दैत्यगुरु शुक्राचार्य की तपोभूमि होने के साथ साथ कई तपस्वी साधु संतो की जिवंत समाधियाँ इस क्षेत्र में स्थित है, श्री आन्याजी महाराज (दिगम्बर स्वामी महाराज) , श्री तारकनाथ स्वामी महाराज, श्री मुकुंद स्वामी महाराज आदि महात्माओं की जिवंत समाधिया प्रमुख है, वंदनीय राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज, संत श्री गाडगे महाराज, शंकराचार्य श्री स्वरूपानंदजी महाराज, संत श्री भाकरे महाराज इनका वास्तव्य लाभ इस मंदिर को प्राप्त हुवा है.. Read more View on Google Map